ओम जय जगदीश हरे स्वामी शिवानन्द व श्री श्रद्धा राम द्वारा लिखित आरती
आत्मीय बन्धुवर सादर वन्दे। आपके उत्तम स्वास्थ्य एवं प्रभु की कृपा आप सभी पर बनी रहे ऐसी कामना के साथ....ॐ जय जगदीश हरे , इस जगत प्रसिद्ध महान आरती के प्रकाशन और रचियता के बारे में दो मत है।
रचनाकार का नाम | आरती के लेखकों का संक्षिप्त जीवन परिचय | आरती के बोल |
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स्वामी शिवानन्द सरस्वती
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स्वामी शिवानन्द जी द्वारा रचित आरती का सर्वप्रथम प्रकाशन गीताप्रेस द्वारा हुआ। अपने प्रवचन के बाद ये इस आरती को सुनाया करते थे। | जय जगदीश हरे... प्रभु जय जगदीश हरे... (देखने हेतु क्लिक करे) |
श्रद्धा राम फिल्लौरी
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श्री श्रद्धा राम फिल्लौरी जी सन् 1837 में पंजाब के फिल्लौर शहर में एक ब्राह्मण परिवार में पैदा हुए थे। आरती लेखन के अतिरिक्त इन्होने भ्रूण हत्या के विरुद्ध अभियान चलाया था। | ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे... भक्त जनों के संकट... (देखने हेतु क्लिक करे) |
- निम्न लिखित आरती का प्रकाशन सर्वप्रथम गीताप्रेस द्वारा हुआ। तथा इसके रचनाकार श्री स्वामी शिवानन्द जी सरस्वती हैं। वे इस आरती को अपने प्रवचनों के समापन पर गाते थे।
- जगदीश हरे, प्रभु! जय जगदीश हरे..
श्री विष्णु भगवान् (जगदीश प्रभु जी) की आरती - जय जगदीश हरे...
श्री स्वामी शिवानंद जी के कर-कमलों द्वारा रचित "जय जगदीश हरे" आरती के अंश विकिपीडिया के अनुसार निम्नानुसार है:-जय जगदीश हरे प्रभु मायातीत, महेश्वर मन-वच-बुद्धि परे।। जय जगदीश..
आदि, अनादि, अगोचर, अविचल, अविनाशी।
अतुल, अनन्त, अनामय, अमित, शक्ति-राशि।। जय जगदीश..
अमल, अकल, अज, अक्षय, अव्यय, अविकारी।
सत-चित्-सुखमय, सुन्दर शिव सत्ताधारी।। जय जगदीश..
विधि-हरि-शंकर-गणपति-सूर्य-शक्तिरूपा।
विश्व चराचर तुम ही, तुम ही विश्वभूपा।। जय जगदीश..
माता-पिता पितामह-स्वामि सुहृद्-भर्ता।
विश्वोत्पादक पालक रक्षक संहर्ता।। जय जगदीश..
साक्षी, शरण, सखा, प्रिय प्रियतम, पूर्ण प्रभो।
केवल-काल कलानिधि, कालातीत, विभो।। जय जगदीश..
राम-कृष्ण करुणामय, प्रेमामृत-सागर।
मन-मोहन मुरलीधर नित-नव नटनागर।। जय जगदीश..
सब विधि-हीन, मलिन-मति, हम अति पातकि-जन।
प्रभुपद-विमुख अभागी, कलि-कलुषित तन मन।। जय जगदीश..
आश्रय-दान दयार्णव! हम सबको दीजै।
पाप-ताप हर हरि! सब, निज-जन कर लीजै।। जय जगदीश..
- श्री श्रद्धा राम जी फिल्लौरी सन् 1837 में पंजाब के फिल्लौर शहर में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे।
आरती लेखन के अतिरिक्त इन्होने भ्रूण हत्या जैसी सामाजिक बुराई के विरुद्ध अभियान चलाया साथ ही फिल्लौरी जी ब्रिटिश सरकर के खिलाफ प्रचार के आरोपों के कारन भी प्रसिद्ध रहे।
इनके द्वारा लिखी आरती को पूरा हिन्दू समाज भावविभोर होकर सुनता व गाकर सुनाता है। अनुराधा पौंडवाल जी के कंठ से निकले इस आरती के स्वर को सुनकर हर कोई भक्ति भाव में डूब जाता है।
भक्ति भाव से औत-प्रोत मंदिरों एवं पत्थर की मूर्तियों के लिए प्रसिद्द नगरी जयपुर में बसने अथवा कहीं भी शिफ्टिंग हेतु Packers and Movers in Jaipur आपकी सेवा में सदैव तैयार रहता हैं।
मात्र ४३ वर्ष की आयु में श्री फिल्लौरी जी ने अपनी देह त्याग कर सदा सर्वदा के लिए यह संसार छोड़ कर चले गए।
पूजनीय श्रद्धा राम जी के अतुलनीय योगदान, उनके द्वारा लिखित हिंदी साहित्य महान उपन्यास 'भाग्यवती' की यादे हमेशा हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत रहेंगी।
Aarti Om Jai Jagdish Hare Lyrics | श्री श्रद्धा राम कृत ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे।। ओम जय जगदीश हरे...
जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का।।
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का।। ओम जय जगदीश हरे...
आगे पढ़े... ॐ जय जगदीश हरे सम्पूर्ण आरती
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